जिंदा हूं कुत्तों - मीम्स से सोशल मीडिया पर छाए धर्मेंद्र — आज तक और अंजना ओम कश्यप को लोगों ने दी सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि।

आज तक चैनल की सबसे धुंआधार न्यूज़ एंकर अंजना ओम कश्यप अब इस दुनिया में नहीं रही लोग उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते नजर आ रहे है।  सोशल मीडिया पर ऐसी ख़बरें चल रही है लेकिन आपको बतादें अंजना ओम कश्यप बिलकुल ठीक है। और अपने उसी जोश और जूनून से पत्रकारिता कर रहीं हैं। 




दरशल सोशल मीडिया पर ऐसी ख़बरों के ट्रेंड होने की वजह पिछले दिनों आज तक न्यूज़ चैनल पर धर्मेंद्र के निधन को लेकर चली झूटी खबर है जिसमे अंजना ओम कश्यप ने बताया था के बॉलीवुड के ही-मैन धर्मेंद्र अब हमारे बीच नहीं रहे। लेकिन सही खबर ये थी के धर्मेंद्र को गंभीर श्वसन समस्या के बाद मुंबई के Breach Candy Hospital में भर्ती कराया गया, तो सभी की निगाहें उनके स्वास्थ्य पर जुटी थीं। 
लेकिन यही वह समय था जब मीडिया और सोशल मीडिया पर एक भयानक गलती हुई — उनकी मृत्यु की झूठी खबरें तेजी से फैलने लगीं। कई चैनलों ने उन्हें “दिवंगत” घोषित कर दिया, नेताओं ने श्रद्धांजलि देने लगा, ट्विटर-एक्स पर पोस्ट्स आ गईं।      


हेमा मालिनी और ईशा देओल ने मीडिया को लताड़ा — ‘यह गैर जिम्मेदाराना और अस्वीकार्य है’

उनकी पत्नी हेमा मालिनी और बेटी ईशा देओल ने तुरंत सामने आकर स्क्रीन पर चल रही खबरों को खारिज किया। हेमा मालिनी ने कहा: “जिन्होंने यह खबर चलायी, वे किस तरह किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में ‘मृत’ बोल सकते हैं जो ठीक हो रहा है? यह अत्यंत अनादरपूर्ण है।” 
 इसी बीच सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग शुरू हो गई, मीम्स उभरे — “जिंदा हूँ कुत्तों, टीआरपी के चक्कर में हर घंटे मारना बंद करो मुझे” जैसा कटाक्ष भी हुआ।

अफ़वाहें और तथ्य-परिवर्तन — दोनों ने मिलकर मीडिया को आइना दिखाया। तथ्य यह है कि धर्मेंद्र अस्पताल से डिस्चार्ज हो चुके हैं, घर पर आराम कर रहे हैं और चिकित्सकीय निगरानी में हैं। लेकिन उस प्रक्रिया में जो घोर गलती हुई, वह है खबरें बिना पुष्टि के प्रसारित होना।



अंजना ओम कश्यप और आज तक चैनल पर उठे सवाल — टीआरपी की दौड़ में सच की हत्या?

यह घटना सिर्फ एक गलती भर नहीं है। यह प्रतीक है उन दबावों का, जिनके तहत मीडिया काम करता है — ‘सबसे पहले खबर’ देने की होड़, सोशल मीडिया वायरलिटी का डर, टीआरपी वायरलिटी का मोह। इन सबने सत्यापन को पीछे खिसका दिया। और परिणामस्वरूप एक प्रतिष्ठित अभिनेता की स्थिति से जुड़ी अफवाहें देशव्यापी चर्चा बन गईं। 




मीडिया को भी आत्ममंथन करना होगा कि इतनी बड़ी खबर चलाने से पहले कम से कम कंफर्म कर लिया जाए। बहुत सारे लोग भरोसा कर लेते हैं। माना कि आम जनता कम भरोसा करती है लेकिन बहुत सारे बीजेपी नेता भरोसा जरूर कर लेते हैं। हेमा मालिनी बीजेपी की सांसद हैं। उनसे कंफर्म करने की बजाय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने धर्मेंद्र को श्रद्धांजलि दे दी। योगी आदित्यनाथ, जो कि यूपी के मुख्यमंत्री हैं, उन्होंने श्रद्धांजलि दे डाली, जबकि धर्मेंद्र अभी जिंदा है। तो बीजेपी के कई नेताओं ने भरोसा कर लिया और सोशल मीडिया पर शोक संदेश भी जारी कर दिए। 

धर्मेंद्र की मौत की झूठी खबर ने बताया — कैसे आज का मीडिया ‘सत्यापन’ भूलकर टीआरपी की दौड़ में भाग रहा है

इसके पीछे दो महत्त्वपूर्ण सबक हैं:

मीडिया की जवाबदेही — सूचना का स्रोत जांचना, परिवार से पुष्टि करना, अफवाहें फैलने से पहले मानसिक व सामाजिक प्रभावों का अनुमान लगाना।

पाठक-उपभोक्ता की सावधानी — सोशल मीडिया पर आई खबर को तुरंत साझा नहीं करना चाहिए, स्रोत देखना चाहिए, जब परिवार स्वयं बयान दे रहा हो तब खबर फैलने देना चाहिए।

इस पूरी घटना ने यह भी दिखाया कि जब बड़े सेलिब्रिटीज़ की खबरें गलत होती हैं, तो न केवल उनकी निज-जिंदगी प्रभावित होती है बल्कि समाज का भरोसा भी मीडिया प्रक्षेत्र पर डगमगा जाता है। हमें याद रखना होगा: सूचना-प्रसारण एक जिम्मेदारी है, सिर्फ गति नहीं।

इसलिए, धर्मेंद्र की स्वस्थ वापसी के लिए शुभकामनाएँ व्यक्त करते हुए, हमें यह भी संकल्प लेना चाहिए कि “तेजी से खबर देने” के चक्कर में “सत्य की जाँच” पीछे नहीं होगी। गोदी-मीडिया-चक्र में फँसे बिना, हम एक स्वस्थ-सूचना-परिस्थितिः की ओर बढ़ सकते हैं।



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